Monday, December 24, 2007

गाँधी के चार बंदर

तू तो मर कर स्वर्ग गया बापू
अपने बंदरों को क्यों छोड़ गया
प्यारे वतन से तू अपने
इतनी जल्दी क्यों मुँह मोड़ गया।

तेरा एक बंदर इन दिनों
विधायिका के नाम से जाना जाता है
मक्कारों की टोली में यह
सबसे मक्कार माना जाता है।

नैतिकता को तलाक दे इसने
नीचता से संबंध जोड़ लिया है
तेरे सारे आदर्शों से इसने
कब का अपना मुँह मोड़ लिया है ।

पेट इसका है बहुत बड़ा बापू
कुछ भी यह खा सकता है
चारा कफ़न ताबूत की कौन कहे
तेरे भारत को भी चबा सकता है ।

ये तेरा वह बंदर है जिसने
अपने कान कर रखे हैं बंद
अपने वतन से है इसका
सिर्फ स्वार्थ का संबंध ।

यह गरीबों की गुहार नहीं सुनता है
यह भूखों की पुकार नहीं सुनता है
इसे सिर्फ सत्ता का गीत सुनाई देता है
जनता के रुदन में भी इसे
वोट का संगीत सुनाई देता है ।

तेरा दूसरा बंदर बापू
कार्यपालिका कहलाता है
फाईलों के गोरखधंधे से यह
तबियत अपनी बहलाता है ।

पेट इसका भी बापू
नही है कम बड़ा
भ्रष्टाचार की बैशाखी पर है
तेरा यह बंदर खड़ा

विधायिका से इसकी
बड़ी बनती है
कभीकभार ही ठनती है
अक्सर खूब छनती है

ये तेरा वो बंदर है
जिसका मुँह तो बंद है
पर विधायिका से
जिसका अवैध संबंध है ।

यह बोलता कुछ नहीं है
अपना काम किये जाता है
दोनों हाथों से बस
माल लिए जाता है

जुबां पर तो इसके
ताले बंद है बापू
पर अंदर जाने कितने
घोटाले बंद है बापू

आ तुझे अब तीसरे बंदर की
हालत दिखता हूँ
तेरे दो बंदरों के हाथों हो रही
इसकी जलालत दिखाता हूँ

तेरा यह बंदर न्याय की
डोर थामे है
सबसे बडे प्रजातंत्र की यह
बागडोर थामे है

आजकल शासन कमोबेश
यही चला रहा है
विधायिका और कार्यपालिका के
जमीर को हिला रहा है

पर तेरे दोंनों बंदर इसे
प्रायः अंगूठा दिखा जाते हैं
इसकी कमजोर नस को जानते हैं इसलिए
अक्सर धता बता जाते हैं

तेरा यह बंदर लाचार है बापू
क्योंकि इसके आंखों पर
पट्टी बंधी है
गवाह सबूतों की
मोटी चट्टी बंधी है

भ्रष्टाचार की बीमारी से
यह भी नहीं अछूता है
पर हराम की कमाई को
कोई कोई ही छूता है ।

और हाँ बापू एक इजाफा हुआ है
तेरे बंदरों की टोली में
मीडिया कहते है इसे
यहाँ की बोली में।

प्रजातंत्र का यह
चौथा स्तंभ है
खुद के शक्तिशाली होने का इसे
बड़ा दंभ है।

इसका तो आँख कान मुँह
सब खुला है
यह भी देश को
चौपट करने पर ही तुला है।

कहने को तो ये
प्रजातंत्र का प्रहरी है
पर असल में इसकी
साजिश सबसे गहरी है।

यह नायक को विलेन
विलेन को नायक बनाता है
सब की खाता है पर
किसी किसी के काम ही आता है।

आतंकियों देशद्रोहियों का
सबसे बड़ा प्रचारक है
पर कहता अपने आपको
समाज सुधारक है।

इन्ही चार बंदरों पर टिका हैबापू
प्रजातंत्र तेरे वतन का
क्या इनसे ही तू आशा करता है
सुख चैन और अम का।

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