Thursday, December 20, 2007

कुर्सी तोड़ मार्का लोकतंत्र

यह हमारा लोकतंत्र है
खालिस देशी
शुद्ध घी की तरह

कोई मिलावट नहीं
कुछ भी इम्पोर्टेड नहीं
बहुत खूबियाँ हैं इसमें
हैं इसके कई फायदे
चूल्हों को जलावन तक मयस्सर नहीं है
पर हैं चाँद सितारों के वायदे
कोई कुछ भी कहे
विश्व में अव्वल है हमारा लोकतंत्र
वर्ना सदन में
कुर्सियाँ चलाने, तोड़ने को
कहाँ कौन है स्वतंत्र
ये हमारा कुर्सीतोड़ मार्का लोकतंत्र है
यहाँ सब स्वतंत्र हैं
चाहे तो सदन में
गालियाँ दे लो
चप्पलें चला लो
कुर्सियाँ तोड़ दो
या किसी की बाँह मरोड़ दो
कोई कुछ नहीं कहेगा
ये हमारा तरीका है
लोकतंत्र में आस्था व्यक्त करने का
कोई दूसरा मुल्क ऐसा
क्या कर पाता है
जो उँगलियाँ उठाते हैं
हमारे लोकतंत्र पर
उनके बाप का क्या जाता है


आख़िर स्वतंत्रता है अभिव्यक्ति की यहाँ
भावना की कद्र की जाती है
हर एक व्यक्ति की यहाँ
सिर्फ हमारे लोकतंत्र में
पाला बदलने की सुविधा है
नेताओं के मन में
पार्टियों को लेकर
नहीं तनिक भी दुविधा है
यहाँ दाल नहीं गली
तो वहाँ गला लेंगे
नहीं तो अपनी खिचड़ी
अलग पका लेंगे


खंडित जनादेश की सूरत में'
छोटे बडों का भेद सारा
मिट जाता है
पिद्दियों और सूरमाओं के बीच का
विभेद सारा मिट जाता है
गठबंधन की राजनीति
समरसता का गीत गाती है
बाघ और बकरी को
एक ही मंच पर बिठाती है
बाघ मिमियाता है
बकरी दहाड़ती है
क्योंकि सियासी कुर्सी की एक टांग
बकरी के हाथ में जो आ जाती है
सियासी कुर्सी की इसी एक टांग की खातिर
टूटती है अक्सर सदन में
अन्य कुर्सियों की टाँगें
इसी से गौरवान्वित होता है
हमारा कुर्सी तोड़ मार्का लोकतंत्र
जहाँ कुर्सियाँ चलाने तोड़ने को
होता है हर कोई पूर्ण स्वतंत्र

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