Saturday, December 29, 2007

क्या कलयुग सचमुच आ गया है

नमक हो गया है नमकीन कुछ कम
कम हो गयी है कुछ शक्कर की मिठास भी
पानी बिक रह है दूध की कीमत पर
क्या कलयुग सचमुच आ गया है ।

नारियाँ व्यभिचार का शिकार हो रही हैं
शिकार हो रही हैं बच्चियां बलात्कार का
इंसान दिन ब दिन हैवान हो रहा है
क्या कलयुग सचमुच आ गया है।

धर्म के नाम पर हो रही है हत्या
और हो रही है हत्या खुद धर्म की आज
हत्यारे बन बैठे हैं मजहब के ठेकेदार
क्या कलयुग सचमुच आ गया है।

मंदिर मस्जिद बन गया है अखाड़ा
अखाड़ा बन गया है गाँधी का यह देश

धर्म बन गया है सर्वनाश का निमित्त
क्या कलयुग सचमुच आ गया है।


जात पात का है फ़ैल रहा अँधेरा
और फ़ैल रहा है अँधेरा व्यभिचारों का
माँ कर रही है बेटों की हत्या
क्या कलयुग सचमुच आ गया है।

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