Sunday, December 30, 2007

इसलिए तो मैंने राजनीति को चुना है

देश में बह रही फील गुड की बयार से
मंत्री की बीबी ने उठाना चाहा फायदा
सोचा इस चुनाव के मौसम में
करा लें पति से दो चार वायदा ।




बोली सारे देश को फील गुड करा रहे हो
मुझे कब फील गुड कराओगे
शादी में जो किया था वादा
कम से कम उसे तो निभाओगे ।


मंत्री बोले राजनीति में वादे
किये जाते हैं , निभाए नहीं जाते
पर तुम्हारी बात कुछ और है
तुम से तो शादी की है राजनीति नहीं ।

चुनावी माहौल में खुला है
वादों का पिटारा तू जान ले

जो कुछ माँगना है अभी ही माँग ले
गलती से जीत गया अगर मैं
पांच सालों तक आऊंगा नहीं नजर मैं
जनता तो भोली है भुलावे में आ जायेगी
पर तू तो मुझे कच्चा ही चबा जायेगी।

पार्टी तो रोज बदल सकता हूँ
पर तू तो इकलौती ही रहेगी
मेरे पुरुषत्व के लिए तू चुनौती ही रहेगी
राजनीति में तो बगैर पुरुषत्व के भी चलता है
सब हमारे जैसे ही हैं इसलिए नहीं खलता है
अच्छा होता है बीच वाला सुना है
इसलिए तो मैंने राजनीति को चुना है ।

0 comments: