Wednesday, January 2, 2008

सीने का दर्द

सरकारी अस्पतालों की चकचक से हैरतजदा
मैंने ड्यूटी पर मुस्तैद चिकित्सक मित्र से पूछा
यार ये कैसा गड़बड़झाला है,जिनके गले में होती थी
अपने मातहतों की बाहें,आज उनमें नामुराद आला है ।

मित्र ने कहा सब राजनीति का खेल है
नेताओं का अस्पतालों में आजकल बड़ा रेलमपेल है
सीने में दर्द की शिक़ायत अचानक बढ़ गयी है
नेताओं के सुखी जीवन पर कोर्ट की नजर गड़ गयी है।

राजनीति के रंगे सियार समाज में आज नंगे खड़े हैं
बेगुनाही पे अपने सीना ठोकने वाले सीने का दर्द लिए अस्पतालों में पड़े हैं
नौकरी का सवाल है भैया इसलिए अस्पताल आना पड़ता है
दर्द सीने में हो न हो हमें तो दिखाना पड़ता है।

मैंने कहा ये रहस्य मेरी समझ में नही आता है
ये निगोड़ा दर्द अक्सर सीने में ही क्यों समता है
मर्डर का केस चले तो सीने में दर्द पुलिस का रेड पड़े
तो सीने में दर्द ,कोर्ट में डेट पड़े तो सीने में दर्द ।

पशुओं का चारा खाओ तो सीने में दर्द
हथियारों के साथ पकड़े जाओ तो सीने में दर्द
जनांदोलन में नरसंहार कराओ
तो सीने में दर्द ।

ह्रदय की ये बीमारी तो महामारी बन गयी है
जेल की जगह अस्पताल भेजना लाचारी बन गयी है
गहन चिंता में फंसी है इन दिनों सरकार बिचारी
जेल में अस्पताल हो या अस्पताल में जेल
कर रही है विचार बिचारी ।

या क्यों नही कोर्ट में ही अस्पताल बनाया जाये
पहले नेताओं का चेकअप हो फिर जमानत पर विचार किया जाये
पर नियम चाहे कुछ भी बने खुद को ध्यान में रख कर बनाना है
कल इन्हें ही सीने में दर्द हो जाये कमबख्त कल का क्या ठिकाना है ।

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