कविता महज शब्द नहीं
अनुगूंज है महासमर की
और कविता लोक की
अंतरात्मा की आवाज भी ।
कविता अभिव्यक्ति है
लोकवेदना की और कविता
आक्रामक प्रतिवाद का
आह्वान भी ।
कविता एक खूबसूरत तर्जुमा है
जीवन के झंझावातों का
और कविता
एक आकर्षक संगीत भी ।
कविता धूप सी
व्याप्त भी हर शू
और कविता
परिवर्तन की पैरोकार भी ।
कविता पराजयबोध
नहीं है कदापि
कविता अपराजेयता की
मिशाल है बल्कि ।
कविता पलायन नहीं है
जीवन संघर्षों से
कविता तो
उम्मीद का उजाला है।
कविता जीवन की टीस भी
और कविता
कवि की
जीजीविषा का संगीत भी ।
कविता संकेत है भविष्य का
और कविता
लेती प्रेरणा है
भूत से भी।
और कविता न कमल
न गुलाब न कैक्टस ही
कविता तो हर मौसम में
महकता गेंदे का फूल है।
Monday, April 28, 2008
कविता के रंग
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1 comments:
कविता न गुलाब , न कमल न कैक्टस
कविता तो गेंदे का फूल है .... अद्भुत.... कविता के बारे में सकारात्मक नजरिये को अबतक शायद ही कहीं देखा गया हो.... जिन बिंदुओं को छूने की कभी कोशिश तक नहीं की गई.... उन्हें भी छुआ है आपने.... बेशक कविता सिर्फ शब्दों की बाज़ीगरी नहीं.... संघर्ष की मशाल भी है.... लेखनी चलती रहे आपकी.... शुभकामनाओं सहित
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