चुनाव का दिन था
पोलिंग बूथ पर लगी थी
'वोटों' की लंबी कतार
तभी एक वोट अपने
अगले वोट से बोला
भाई तू कैसा वोट है
हिन्दू है की मुसलमान है
सांप्रदायिक है की धर्मनिरपेक्ष
अगड़ा है की पिछड़ा है
कुर्मी है की कहार है।
सुनकर पिछले की बातें
अगला वोट हड़बड़ाया
बोला न अगड़ा हूँ न पिछड़ा
न हिन्दू हूँ न मुसलमान हूँ
मैं तो बस इंसान हूँ ।
सुन कर उसकी बातें
पिछला वोट मुस्कुराया
बोला लगता है तुने
अभी-अभी अठारह पार किया है
तू अभी नादान है
देश की राजनीति से
लगता है तू अनजान है ।
हम सब सिर्फ वोट हैं
इंसान नहीं
नेताओं की नजर में
हमारी और कोई पहचान नहीं ।
Thursday, December 27, 2007
वोट
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